रीना मौर्या की कविताएं

रीना मौर्या कि कविताएं प्रेम कि कवितायेँ है। इनकी कविताओ में जीवन का विश्वास है। भावनाओ का सागर है, संवेदनाओ का प्रवाहमय संसार है। रिश्तो में अपनत्व की प्रेरणा है। रीना मौर्या अपनी कविताओ में अपने मन की बात करती हैं, हमारे आपके, हम सबके मन की बात। ... और अपनी कविताओं को ले जाकर एक ऐसे स्तर पर छोड़ देती हैं जहां से जीवन कि सार्थकता बनती है। आप भी पढ़े रीना मौर्या की कविताएं


1 ) मेरा प्यारा ख्वाब 

सुनों ना
कुछ कहना है तुमसे
तुम क्यूँ इतना
दूर हो मुझसे
पता है कल रात
मैंने एक ख्वाब देखा
जिसमे तुम हो
मै हूँ
और वो सुनहरी
रंगबिरंगी संध्या
आकाश कुछ नारंगी
 कुछ नीला
थोड़ा सा काला और कहीं - कहीं
पीला रंग लिए
मद्धिम रोशनी बिखेर रहा था
और हम समुंद्र के किनारे बैठे
आसमान की ओर ताकते
बदलते रंगों की गीनती कर रहे थे
जब भी गीनती में चूक होती
एक - दूजे को देख
जोर - जोर से हँसते
कितना सुकूनभरा वो पल था
कितनी ईच्छाएं दबी थी मन में
कितनी शिकायते भी थी
कभी तुम कहते कुछ
कभी मै बताती कुछ...
हाय |
कितना खुबसूरत और
प्यारभरा वो पल था
सुनों ना
चलो अब जल्दी से
लौट आओ
इस ख्वाब को पूरा कर दो
कुछ पल अपने साथ
वो सुकूनभरे पल दे दो।


2) अधूरे चाँद की पूरी रात.


करवट - करवट बदलती
सिलवट - सिलवट चादरों की
चुप सी बात , ढ़ेर सारे जज्बात
दो अजनबी एक रात
मुस्कानों की बरसात
कभी दाएँ से- कभी बाएँ से
भीनी खुशबू, मोगरे की वास
अँधेरी रात
माथे का अधुरा चमकता चाँद
नींद को तोड़ती
कंगन की खनखनाहट
पर खामोश जुबान
मुस्कुराहट बार - बार कई बार
अब ख़त्म हो गई
अधूरे चाँद की पूरी रात
लो भोर जो हो गई
सुन्दर बीती रात
अनछुए पहलू से
पूर्ण निष्ठा और विश्वास
दो सूत्र मिले
महकाने को घर - संसार
उस अधूरे चाँद की पूरी रात में
इस सूत्र के साथ हुई नई शुरुवात
नए रिश्तों के सुन्दर सफ़र की।


3) एक बूंद इश्क 


होंठो की खामोशी ने पलकों के
भीतर आँखों के कोर में
एक बूंद इश्क बना दिया
आँखों को ठंडक देते उस
एक बूंद इश्क ने सब कुछ
धुंधला सा कर दिया
उस धुंधलपन को साफ करने के लिए
जैसे ही पलकें झपकाई
वो एक बूंद इश्क आँखों से बहकर
गालों पर से ढुलकते हुए
धीरे से ना जाने कहाँ खो गया
जहाँ से वो एक बूंद इश्क गुजरा
वहां अब सिर्फ एक गीलेपन की रेखा है
कुछ वक्त में वो भी सुख जाएगी
फिर उदास चेहरे
बुझे मन
ठंडी आँखोंवाले चेहरे पर रह जाएगी
एक दिखावटी मुस्कान
अपने अपनों के लिए
और मन में एक आस
प्रेमसागर को पाने की
 

4) खुद को पा लिया है मैंने


कितना बदल दिया था
खुद को तुम्हें पाने के लिए
कैसी जिज्ञासा थी वो ?
कैसा बचपना था ?
जरा भी ना सोचा
की कब तक पहन सकुंगी
ये झूठा मुखौटा
तुम्हें पाने के नाम पर
खुद को भूलती जा रही हूँ
आज इस मुखौटे को
उतार कर तो देखूँ
की , कितना पीछे छोड़ दिया है खुद को
या अभी भी मेरा अस्तित्व
इस मुखौटे के पीछे दम तोड़ रहा है...
अब भी इसमे कुछ जान बाकि है
बेचारा ,,,,कितना घुटा होगा इस मुखौटे के पीछे
कैसे भूल गई मै
मेरा यही अस्तित्व तो मेरी पहचान है
इस मुखौटे की तरह नहीं
जिसे मैंने पहना था
कुछ समय पहले
तभी से तो लोग कहने लगे
की,,,तू कितना बदल गई है
क्या मेरा बदलना सही था
जब इस मुखौटे का रंग फीका पड़ता
तो मेरा असली अस्तित्व
 सामने आ ही जाता न
उस वक्त क्या करती मैं
फिर एक नया मुखौटा लगाती
अच्छा किया जो आज
तुम्हें भुलाने का फैसला किया
तभी तो अंतर्मंथन कर
पाई हूँ स्वयं का
और देखो
जबसे तुम्हे भूली हूँ
खुद को पा लिया है मैंने


5) खयालों के बादल


खयालों के बादल
उमड़ - घुमड़ नाचते है मेरे आसपास
वो खयालों के बादल
बरसने से पहले जैसे बदलते है रंग बादल
आकाश में विचरते है यहाँ से वहाँ
फिर एक रंग और तेज रिमझिम फुहार
ऐसे ही है मेरे खयालों के बादल भी
विचरते है सोच की आकाश गंगा में
और जब भर आता है उनका मन
फिर बरस पड़ते है मेरे खयालों के बादल भी
कोरे कागज पर
भिगो देते है मेरे मन को अपनी भावना से
इस भीगे मन से मै भी सींचने लगती हूँ
एक नई सृजन की फसल


6) खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें


खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें
तुम्हारी अदा को अपनी अदा बनाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें
तुम्हारी मुस्कान को अपने चेहरे पर सजाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें
तुम्हारी जिम्मेदारियों को अपने कंधे पर उठाकर
खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें
आईने के सामने घंटों खड़े रहकर
अपने बालों को सवांरना
खुद को आईने में निहारना
अब तो ये सब मैंने भी सिख लिया है
आसमानी रंग की शर्ट पहनकर
आसमान को देखते रहना
जाने क्या सुकून मिलता था तुम्हें इसमे
पर अब देखो मै भी आसमानी रंग की साड़ी पहनकर
घंटों आसमान को देखती हूँ
और खुद में ढूंढ़ती हूँ तुम्हें
तुम्हारी आदतों को अपना बनाकर
तुम्हारी खुशबू को खुद में बसाकर
ढूंढ़ती हूँ तुम्हें........
और अब लगता है मेरी तलाश पूरी भी हो गयी है
तभी तो ये आसमानी रंग
ये खुशबू
ये ज़िम्मेदारियाँ
तुम्हारी मुस्कान
सब मुझे भी तो भाते है
क्यूंकि तुम कहीं नहीं गए हो
तुम मुझमे बसे हो
मुझमे बसे हो सदा के लिये


7) ना जाओ तुम अबकी बार. 


आज कह दूंगी सारी बात
बता दूंगी अपने सारे जज्बात
दिखा दूंगी वो सारी याद
जो उनके ना होने पर
थे मेरे तन्हाई के साथ
फिर करुँगी एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार
की ना जाओ तुम
कब तक रह पाऊँगी तुम्हारी यादो के साथ
तुम्हारी कही उन अधूरी बातो के साथ
उन बातो के पूरा होने के इंतज़ार के साथ
जब तुम्हारा आना होता है तो
वो अधूरी बाते पुरानी हो जाती है
फिर एक दौर नयी शुरुवात की
फिर उसमे एक अधूरी बात
कैसे पूरी होंगी वो अधूरी बातें
रुक जाओ तुम इसबार
फिर करती हुं एक फरियाद
की ना जाओ तुम अबकी बार


8) दर्द

मुझे पाना चाहती थी वो
पर मेरी हा का इंतजार करती थी
पर अधिक इंतजार भी कर ना पाई वो
मुझसे बेपनाह प्यार जो करती थी
चाहत कि हद पार कर
शर्मो - हया को छोडकर
मेरी बाहो में समा गई
बहते अश्रू से मेरे ह्रदय को भीगा गई
सांसो में सिसकीया
आंखो में अश्क
कापते होंठ उसके
मन में कश्मकश
रुवासा चेहरा
आंखो में सवाल
क्यू करवा रहा था
उससे मै इंतजार ?
चाहती थी वो मुझसे इसका जवाब
क्या देता जवाब मैं
मैं तो खुद हि जिंदगी का सवाल था
क्युंकी मैं चंद लम्हो का हि मेहमान था


9) तेरा अहसास


तुमसे मिलने का वो पहला अहसास
तुमसे बार-बार मिलने को उकसा गया
तुम्हारी बातों का वो सिलसिला
मेरी नज़रों में तुम्हे खास बना गया
शुक्रगुजार हूँ उस कायनात का मैं
जिसने मुझे तुमसे मिलाया
बेरंग उदास जीवन में मेरे
प्यार के रंग ले आया
कुछ अफ़सोस सी थी जिन्दगी
कुछ अधूरे से पलछिन थे
कई जागती रातों में
कई अधूरे सपने थे
तुमने आकर जैसे
मौसम की करवट ही बदल दी
खामोश जुबान को मेरे लफ्ज दे दिए गुनगुनाने को
सपनों में रंग भर दिए -- मुस्कुराने को
अब गुजारिश है उस कायनात से
दे दुआएँ ऐसी की
जीवन का ये मोड़ हर मोड़ पर
और भी खुबसूरत होता जाए


10) सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ...


सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ
तेरे गम को भुला दूँ
ये नहीं कह सकता
हाँ तेरा गम बांटने आया हूँ

रिश्ते तो बहुत निभाए है तुने
मै अपनी दोस्ती निभाने आया हूँ

खुबसूरत नजारों की  बात नहीं करता मैं
पर मैं अपनी नजरों से तुझे दुनिया दिखने आया हूँ

शोहरत देने की हैसियत नहीं है मेरी
पर मै तुझे खुशियाँ देने आया हूँ

मंजिल तक पहुँचा दूंगा ये नहीं जानता
हाँ पर तेरे - मेरे मंजिल को एक करने आया हूँ

आशियाना तो नहीं बना सकता मै
हाँ पर तुझे एक प्यारभरा घर देने आया हूँ

रंग कितने ला पाऊंगा
तेरे जीवन में इसका तो पता नहीं
हाँ पर सिंदूरी रंग में तुझे रंगने आया हूँ

कितने चाँद -तारे सजा पाउँगा
तेरे दामन में ये खुदा ही जाने
पर मै तेरे दामन को खुशियों से भरने आया हूँ

झूठे वादे नहीं करता मै
पर मै तुझे अपना बनाने आया हूँ
सहारा नहीं मै साथ देने आया हूँ


11) क्योंकि शायद मै तुमसे मिली.


पहली  बार मुझमे खुशियो का आगाज हुआ
पहली बार मुझे मेरे रूप का आभास  हुआ
पहली बार मन मोहिनी हवा चली
क्योंकि शायद
मै तुमसे मिली

पहली बार तेरे मेरे नैनो का मेल
पहली बार मै उंगलियों से खेल रही हु खेल
शरमाई आँखे मेरी झुक गयी
क्योंकि
शायद मै तुमसे मिली

पहली बार हुआ प्यार का अहसास
पहली बार हुआ दिल बेक़रार
हर वक़्त मिलने की तमन्ना जगी
क्योंकि
शायद मै तुमसे मिली

पहली बार मै तुमसे मिलने आई
वो सुकून भरी ख़ुशी तूम्हारी आँखों में झाई
पहली बार हुई  शब्दों में बातो की शुरुवात
पहली बार जगे दिल में नए अहसास
पहली बार मै फूल की तरह खिली
क्योंकि
शायद मै तुमसे मिली


पहली बार दिल ने कुछ सपने बुने
पहली बार उपहार देने के लिए मैंने कुछ फूल चुने
पहली बार मन गुदगुदाया
और हुई ख़ुशी से मै बावरी
क्योंकि
शायद मै तुमसे मिली